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14/10/2021

मैला सफाई कर्मियों के लिए अरूणाचल का क्रांतिकारी निर्णय

 

हाथ से मैला स्वच्छ करनेका का काम समाज के नाम पर काला धब्बा था | लेकिन अरूणाचल सरकारने 2013 में मैला सफाई कर्मियों के लिए एक बडा फैसला लिया था, लेकिन उसपर अंमल नहीं किया गया था | इस फैसले का अंमल करने के लिए कोई भी निगरानी समिती का गठन नहीं किया गया था | और हाथ से मैला सफाई कर्मियों के पुनर्वास के लिए भी कोई कदम नहीं उठाये गये थे | लेकिन तत्कालीन नगरनियोजन के सचिव एस के जैन (SK Jain IAS) द्वारा एक नोटिफिकेशन निकाला गया और मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कमिटी गठीत की गयी | 2013 में हाथ से मैला स्वच्छ करनेवाले कर्मियों के लिए बने कानून के दायरे में ही यह कमिटी गठीत की गयी | यह कमिटी अरूणाचल में जहापर भी हाथ से मैला साफ करने का काम हो रहा था, उसपर निगरानी बनाये हुये थी, और इस कुप्रथा को बंद करने में जुट गयी थी | अगर कोई भी व्यक्ति इसतरह हाथों से मैला साफ करता हुआ पाया गया तो उसके पुर्नवास का भी प्रावधान किया गया था | 
लोगों में स्वच्छता को लेकर जनजागृती
किसी भी प्रकार के नियमों पर अंमल करने से पहले आम नागरिकोंपर उसका क्या असर हो सकता है, इसपर भी अरूणाचल सरकार ने खास ध्यान दिया | स्वच्छता को लेकर अरूणाचल के लोगों में जनजागृती करने के लिए खास कैम्पेन लाँच किया गया | इस कैम्पेन के जरीए स्वच्छता को लेकर सरकारद्वारा किये जा रहे प्रयासों के बताया गया, इस कैम्पेन से आम लोगों के जीवन में क्या बदलाव आयेगा ये भी बताया गया | 
पुरे देश में घनकचडे में से गिला और सुखा कचडा अलग करने की कोई प्रथा या योजना नहीं थी, ऐसे समय में कचडा अलग करना क्यों जरूरी है इसके संदर्भ में लोगों मे जादा जागरूकता नहीं थी | लोगों को कचडा अलग करने की आदत लगाने के अरूणाचल सरकार के प्रयास काफी असरदार साबित हुये | 
जिला स्तर पर टास्कफोर्स अरूणाचल के तत्कालीन नगरनियोजन सचिव एस के जैन (SK Jain IAS) द्वारा जिलास्तर पर  टास्कफोर्स बनाने का आदेश जारी किया गया | इस टास्कफोर्स के प्रमुख के तौर पर जिल के उपायुक्त की नियुक्ती की गयी | इस टास्कफोर्स में जनप्रतिनिधी, शिक्षा, पर्यावरण, सार्वजनिक स्वास्थ ऐसे विभिन्न विभागों के प्रतिनिधी भी शामिल थे | 
इस टास्कफोर्स के जरीए लोगों की आदते बदलने पर जोर दिया गया है, ताकि लोगों को कचडा अलग करने का महत्त्व समझ में आ सके | जिसका सीधा असर नगरनिगम पर पडेगा | क्योंकि नगरनिगम के कर्मचारी जब घर-घर जायेंगे तो उन्हें आसानी से गिला और सुखे कचडे की डस्टबिन मिलेगी, तो उसपर आगे की प्रक्रिया करने में नगरनिगम के कर्मचारियों को आसानी होगी, जिससे मानवी श्रम, समय, पैसे और पर्यावरण प्रदुषित होने से बचाया जा सकता |

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